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Monday, 1 September 2025

ROHILA RAJPUT OF TOMAR (तंवर)VANSH GOTRA

तोमर वंश की पांडववीर अर्जुन से दिल्लीपति 
महाराजा अनंगपाल तक की वंशावली :-
1. अर्जुन
2. अभिमन्यु
3. परिक्षत
4. जनमेजय
5. अश्वमेघ
6. दलीप
7. छत्रपाल
8. चित्ररथ
9. पुष्टशल्य
10. उग्रसेन
11. कुमारसेन
12. भवनति
13. रणजीत
14. ऋषिक
15. सुखदेव
16.नरहरिदेव
17. सूचीरथ
18. शूरसेन
19. दलीप द्वितीय
20. पर्वतसेन
21. सोमवीर
22. मेघाता
23. भीमदेव
24. नरहरिदेव द्वितीय
25. पूर्णमल
26. कर्दबीन
27. आपभीक
28. उदयपाल
29. युदनपाल
30. दयातराज
31. भीमपाल
32. क्षेमक
33. अनक्षामी
34. पुरसेन
35. बिसरवा
36. प्रेमसेन
37. सजरा
38. अभयपाल
39. वीरसाल
40. अमरचुड़
41. हरिजीवि
42. अजीतपाल
43. सर्पदन
44. वीरसेन
45. महेशदत्त
46. महानिम
47. समुद्रसेन
48. शत्रुपाल
49. धर्मध्वज
50. तेजपाल
51. वालिपाल
52. सहायपाल
53. देवपाल
54. गोविन्दपाल
55. हरिपाल
56. गोविन्दपाल द्वितीय
57. नरसिंह पाल
58. अमृतपाल
59. प्रेमपाल
60. हरिश्चंद्र
61. महेंद्रपाल
62. छत्रपाल
63. कल्याणसेन
64. केशवसेन
65. गोपालसेन
66. महाबाहु
67. भद्रसेन
68. सोमचंद्र
69. रघुपाल
70. नारायण
71. भनुपाद
72. पदमपाद
73. दामोदरसेन
74. चतरशाल
75. महेशपाल
76. ब्रजागसेन
77. अभयपाल
78. मनोहरदास
79. सुखराज
80. तंगराज
81. तुंगपाल – 
इनके नाम से इनके वंशज तोमर या तंवर राजपूत कहलाते हैं।
82. अनंगपाल तंवर (तोमर) – 
दिल्ली राज्य के संस्थापक, इस वंशावली से पता चलता है कि अनंगपाल तंवर और तंवर(तोमर) वंश चंद्रवंशी क्षत्रिय हैं, और इनका संबंध पाण्डु-पुत्र-अर्जुन से जुड़ता हैं।


तंवर/तोमर वंश की अनेक  शाखाएं इस प्रकार है तंवर वंश को अर्जुनायन वंश भी कहा गया है.इसकी 22 मुख्य शाखाएँ है जो पूरे उत्तर एवं मध्य भारत में फैलीं हुई है। तवंर वंश के मूल पुरुष पांडूपुत्र अर्जुन के पौत्र परीक्षित जी को बताया जाता है। तंवर वंश की 22 प्रमुख शाखाएं इस प्रकार है.....

==========जावला तंवर ===========
जावला या अनंगपाल के वंशज जावला तंवर कहलाए,रुनेचा,असील जी के तंवर,जाटू,सांपला(सिम्पल) आदि इनकी शाखाएँ हैं,सांपला(सिम्पल),रुनेचा जैसलमेर में मिलते हैं,लोकदेवता रामदेव इसी रुनेचा शाखा से थे,

========ग्वालेरा तंवर==============
दिल्ली छूटने के बाद ग्वालियर पर शासन करने के कारण यहाँ के तोमर ग्वालेरा कहलाए 

===========जाटू तंवर ==============
जाटू तंवर राजपूत वंश राजा अंगपाल द्वितीय के पौत्र व राजा शालीवाहन तंवर के पुत्र राव जैरथ जी जिन्हे जाटू जी कहा जाता था,के कुटुंब से आगे बढ़ा। राव जाटू के साथ उनके भाई रघु व अंगपाल तंवर प्रथम के पुत्र सतरौला का कुटुंब आज हरयाणा के रोहतक , महेंद्रगढ़ , हिसार, कैथल , कुरुक्षेत्र और खासकर भिवानी में वास करता है। एक समय में इनके राज्य के अधीन लगभग 1440 गाँव थे। आज जाटू तंवरों के चौरासी गाँव भिवानी और आस पास के जिलों में वास करती है। पूर्व जनरल वीके सिंह भी तंवरों की इसी शाखा से है। भिवानी शहर की स्थापना भी इन्ही तंवरों ने की। अब से कुछ समय पहले तक भी सरकारी दस्तावेजों में इस इलाके को तीन टप्पों या टप्पा में बसा हुआ माना व जाना जाता था जो की जाटू, रघु व सतरौला राजाओ की परागनाएँ थी।

इन तीनो तंवरो के वंशजों को अपनी जागीरें बढ़ने के अवसर मिले , जिनमे जाटू के वंशज काफी फैले और उम्र सिंह ने तोशाम का इलाका कब्जे में ले लिया इस कारण इलाका उमरैण टप्पा कहलाया जाने लगा। ऐसे ही भिवानी बछोअन टप्पा कहलाता था। जाटू के सिवानी वाले वंशजों को रईस कहा जाता था और तलवंडी में बसे वंशजों को राणा कहा जाने लगा।

======== जंघारा तंवर ============

जंघारा तंवर तंवरों में सबसे लड़ाकू शाख मानी जाती है। जंघारा शब्द ही जंग व अहारा शब्द को जोड़ कर बना है जिसका अर्थ है जो वंश जंग के लिए भूखा हो। जंघारा तंवरों की वंशावली अंगपाल के पोत्र राव जगपाल से होती है। यह तंवर इन्दौरिया तंवरो के भी भाई है। दिल्ली में चौहानो के कब्जे के बाद जंघारा तंवर तंवरों की मुख्या शाखा से अलग हो रोहिलखण्ड के इलाके की ओर राजकुमार धापू धाम के नेतृत्व में कूच कर गए। जंघारा राजपूतों ने बरेली व आस पास से चौदवीं शताब्दी में ग्वालों अहीरों व कठेरिया राजपूतों को युद्ध में हरा कर बहार निकाला। इन्होने रूहेला पठानों को भी कभी चैन से नहीं बैठने दिया , जंघारा राजपूतो की बहादुरी व लड़ाकूपन को देखते हुए ब्रिटिश काल में इनकी भर्ती सेना में ऊँचे ओहदों पर की जाती थी।

=========पठानिया तंवर============

पठानिया तंवर राजा अनंगपाल तंवर के अनुज राजा जैतपाल के वंशज है जिन्होंने उत्तर भारत में धमेरी नाम के राज्य की स्थापना की और पठानकोट नामक शहर बसाया। धमेरी राज्य का नाम बाद में जा कर नूरपुर पड़ा। यह वंश सं 1849 तक विदेशी आक्रमणकारियों के विरुध अपने संघर्षों के लिए जाना जाता है चाहे मुस्लमान हो या अंग्रेज। सं 1849 में नूरपुर अंग्रेजो के अधीन हो गया। इस वंश के राजा राम सिंह पठानिया अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी वीरता के लिए विख्यात हैं,यह वंश इतना बहादुर व झुझारू है के आजादी के बाद भी पठानिया राजपूतों ने 3 महावीर चक्र प्राप्त किये। आज पठानिया राजपूत उत्तर पंजाब व हिमाचल में फैले हुए है।

============जंजुआ वंश ==============

जंजुआ वंश भी तंवर राजपूतों की तरह अर्जुन के वंशज माने जाते है। जंजुआ राजपूतों की उत्पत्ति व नाम अर्जुन के वंशज राजा जनमेजय से मानी जाती है जिनके ऊपर इनके वंश का नाम पड़ा। जंजुआ वंश तंवर वंश के भाई के रूप में देखा जाता है।जंजुआ राजपूतों के राज्य पूर्वी पाकिस्तान के इलाके में रहे है। इस वंश के ऊपर डिटेल्ड पोस्ट आने वाले समय में की जाएगी। ज्यादातर जंजुआ राजपूतों की खाप आज के पाकिस्तान में पायी जाती है जो मुस्लिम बन चुके है। कुछ जंजुआ राजपूतो के गाँव आज भी पंजाब में मौजूद है और वो हिन्दू राजपूत है। जंजुआ एक बहुत ही झुझारू व बहादुर वंश माना जाता है।पाकिस्तान के कई बड़े आर्मी जनरल जंजुआ राजपूत हैं,अंग्रेजो ने भी जंजुआ राजपूतो को पंजाब की सबसे लड़ाकू कौम बताया था.कबूल का प्रसिद्ध शाही वंश भी जंजुआ राजपूत वंश ही माना जाता है,जिन्होंने गजनवी से लम्बे समय तक संघर्ष किया था.यही नहीं इसके वंशज वीर पोरस को भी अपना पूर्वज मानते हैं जिन्होंने सिकन्दर को भी हरा दिया था.

===========जर्राल वंश ===============

ये भी तंवर वंश की शाखा हैं,इन्होने तराइन के दोनों युद्धों में प्रथ्विराज चौहान के साथ मिलकर गौरी का मुकाबला किया था,इसके बाद किसी कारणवश इस्लाम स्वीकार कर लिया,मध्य काल में इनका राज्य हरियाणा के कलानौर,जम्मू कश्मीर के राजौरी में था,इन्होने पठानों,सिखों,ब्रिटिशों और डोगरो से खूब लड़ाई लड़ी और कभी भी आसानी से किसी के काबू नहीं आये,आज इनकी आबादी अधिकतर जम्मू कश्मीर,पाकिस्तान में मिलती है,

============बेरुआर वंश

बेरुआर वंश तंवर वंश की ही एक शाखा है जिसने पूर्वी उत्तरप्रदेश के बलिया व मुज़्ज़फ़्फ़रपुर जिले पर राज किया। भाटों के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश में बेरुर नाम की जन जाती को पराजय कर कर बेरुआरी तंवरों ने राज्य स्थापित किया जिस कारण इनका नाम बेरु + आरी यानि दुश्मन पर पड़ा। बेरुआर वंश के कई गाँव आज बिहार के मिथिलांचल इलाके,फ़ैजाबाद,बलिया,गाजीपुर,बनारस,छपरा आदि जिलो में पाए जाते है,यह वंश पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार सीमा पर सबसे शक्तिशाली राजपूत वंशो में एक है.

===========इन्दौरिया / इंदोलिया तंवर =========
इन्दौरिया तंवर सम्राट अनंगपाल तोमर के पुत्र इंदुपाल के वंशज है। इन्दौरिया तंवरों के ठिकाने आज झाँसी दतिया धौलपुर आदि में पाए जाते है। दिल्ली के गौरी द्वारा ध्वस्त हो जाने के बाद यह शाख भी इन इलाकों में आ बसी।

============= इन्दा तंवर ============
यह खाप आज के मध्य प्रदेश के ग्वालियर के आस पास के इलाके में बसी हुई है। इस खाप को लडूवा तंवर भी कहते है।

=========बिलदारिया तंवर ============
राजा बंसोली के वंशज भागपाल ने बीदासर में राज्य स्थापित किया। बीदासर से जो तंवर निकले वे तंवर बिलदारिया कहलाये। इनके गाँव उत्तर प्रदेश के कानपूर बलिया उन्नाव आदि जिलों में है।

========खाती तंवर ===========
यह तंवर गढ़वाल के खात्मस्यु के अधिकारी थे। इससे पहले इनका निकास आगरा मुरेना के तोमरधार से माना गया है। आज यह शाख गढ़वाल में बस्ती है।

=============सतरावला तंवर========= 
अंगपाल के पुत्र सतरौल के वंशज। भिवानी हरियाणा के आस पास रहते है।

===============सोम वंश ============
सम्राट अनंगपाल उर्फ़ जावल के पुत्र सोम के वंशज। इन्हे सुमाल भी कहा जाता है। 
कुछ लोग इन्हें पांडू पुत्र भीम का वंश भी मानते हैं ।ईस्ट यूपी के सोमवंशी राजपूत इनसे अलग हैं।
सुमाल आज भी दिल्ली के रिठाला गाँव के मूल निवासी है। सुमाल रिठाला के आस पास के गाँवो के अलावा उत्तर प्रदेश के मुज़्ज़फरनगर व मेरठ के 24 गाँवो में पाए जाते है यहाँ इन्हे सोम कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के मशहूर भाजपा नेता संगीत सोम इसी वंश से है।

============= कोड्यां तंवर============= 
जावाल के पुत्र पर ही इस खाप का नाम पड़ा। आज राजस्थान के सीकर जिले में डाबला के आस पास इनके गाँव पड़ते है।

============निहाल तंवर ============
ये भी दिल्ली पति अनंगपाल उर्फ़ जावल के वंश से है आज मध्यप्रदेश में पाए जाते है।
============सेलेरिया तंवर ==========
ये भी दिल्ली पति जावल के वंश से है। इन्हे सुनियार भी कहा जाता है ये मध्य प्रदेश के विदिशा में बस्ते है।

===============घोड़ेवा तंवर ===========
नूरपुर हिमाचल के तंवर घोड़ेवा शाशक कहलाए।

===========तिलोता तंवर =========
बिहार के आरा शाहबाद भोजपुर और यूपी के झाँसी जालौन जिले में निवास करते है।

===============जनवार राजपूत ============ 
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर गंगवाल ऑइल प्रयागपुर इनके ठिकाने है। जनवार राजपूत झाँसी दतिया और बुंदेलखंड में भी पाए जाते है. जनवार तंवरों की शाखा के बजाये भाई बंध माने जाते है जो राजा तुंगपाल से पहले इस वंश से अलग हो गए।

================कटियार तंवर =========
धर्मपुर राज्य जिला हरदोई उत्तर प्रदेश कटियार तंवर राजपूतों का है

============पालीवार तंवर ============
उत्तरप्रदेश के गोरखपुर व फैज़ाबाद जिलो में इनके गाँव है।

================द्वार तंवर ============
यु पी के जालौन झाँसी व हमीरपुर जिलों में पाए जाते है

==============जरोलिया तंवर ====
यु पी के बुलंद शहर के आस पास के तंवर जरोलिया कह लाते है।कुछ जगह इन्हें गौड़ वंश की शाखा भी लिखा है।

=============रघु तंवर ===============
रघु तंवर जाटू तंवर के भाई माने जाते है और भिवानी के आस पास आज बसे हुए है।
===========अन्य तंवर शाखाये :=============
रैक्वाल तिलोता किसनातिल चंदेरिया रिटालिया मोहाल जोधाण अनवार बिलोड़िया अंगडिया मगरोठिया पन्ना बोधयाणा कोढयाना बेबत भैपा तुनिहान आदि '.

=========मराठा क्षत्रियों में तंवर वंश =========
मराठा तंवर मराठा तौर ठाकुर नाम से जाना जाता है.तौर ठाकुर के मराठवाडा प्रांत मे गोदावरी नदी के तीर पर २२ गाँव है.इस प्रांत को गंगथडी भी कहा जाता है,इसके अलावा मराठो में तावडे या तान्वरे,शिर्के भी तंवर वंशी हैं.
रोहिला क्षत्रियों में भी तोमर तंवर वंश पांडु के वंशधर अनेक गोत्र हे दिल्ली से विस्थापित बहुत सी तोमर शाखाएं रोहिला राजपूत गोत्रों में विद्यमान है।
#जय_भवानी 🙏🚩🗡️तोमर ,तंवर,तुंवर ( पांडु वंसी चन्द्र वन्स,तुवरसू वंसी चन्द्र वन्स), राजपूतो की निम्न शाखाये रोहिले राजपूतो में है
1, जंघारा
2सोमवाल
3बटोला
4बढ़ वार
5 जाडिया 
6इन्दौलिया
7कटियार/कटोच
8गोगड़
9गंगवार
10बनाफ़रे(एक यदु वन्स बनाफर अलग है)
11पठानिया
12 काठी(सूर्य वंश की निकुंभ काठी शाखा अलग है)
13 जडोलिया
14सिकरवार
15किशन लाल,कुशनवाल किशनवाल
*गद्दी*--इंद्रप्रस्थ(दिल्ली)
*ठिकाने*--बुद्धमूउ (बंदायू )रोहिलखण्ड,
दतिया,(,बुंदेलखंड)
धर्मपुर(हरदोई)
आदि
ऋषि गोत्र -गार्गेय,पराशर,मुदगल,
प्रवर -तीन
वेद--,यजुर्वेद
शाखा --वाजसनेयी
सूत्र--पारस्कर,गुह्य सूत्र
*कुलदेवी*--योगेश्वरी
निशान --हरा
देवता --शिव
नगाडा -रणगंजन

शस्त्र--खड्ग
पर्व --विजय दशमी
उद्घोष-हरर हर महादेव
उन्माद -विजय या वीर गति
पूर्वज 
पुरुरवा
ययाति
पुरु
शान्तनु
:
:
:
:
पाण्डव
:
:
:क्षेमक
(ईसापूर्व 424)
:
:
:
अनंगपाल प्रथम (742 ईसवी में उजड़ी दिलली को पुनः बसाया)
इनकी 16 वी पीढ़ी में सोलहवाँ अनंगपाल हुवा इसने क्वार सुदी एकादशी दिन सोमवार को लालकोट(वर्तमान लालकिला) की नींव डाली
17वां अनंगपाल उर्फ तेजपाल हुवा इन्होंने आगरे में तेज महल बनवाया(वर्तमान ताज महल)
इसी तेजपाल के दो पुत्र
महेश पाल ओर जीत पाल(अजयपाल)
थे। महेश पाल इंद्रप्रस्थ दिल्ली की गद्दी पर ही रहा ओर अजयपाल वहाँ से चल कर कठहर रोहिलखण्ड के बुद्धमऊ के राजा बुधपाल के यहां आया और अपना राज्य स्थापित कर वन्स चलाया अजय पाल के पुत्र महिपाल ने माघ सुदी पंचमी दिन मंगल वार को बुद्धमूउ बंदायू के किले की नीव रखी 
इनके प्रपौत्र थे किसन सिंह उर्फ किशन सेन ओर सुख सेन 1253 ईसवी में रामपुर के राजा रणवीर सिंह रोहिला के सेनापति की हैसियत से दिल्ली सुल्तान नसीरूदीन महमूद बहराम उर्फ चंगेज की तीस हजारी सेना को धूल चटाई इनके प्रपौत्र राजा सोहन पाल देव ने करोली में ठिकाना स्थाई कर अपने दादा श्री किशन सेन उर्फ किशन सिंह के नाम पर अपने वंशजो के गोत्र को किशनलाल या किसन वाल नाम से प्रचलित किया इन्ही के वंसज बुंदेलखंड दतिया गए वहां वे किशन लाल राजपूत है ।इसी तरह रोहिलखण्ड में जिन जिन वन्स के राजपूतो ने 909 ईसवी से 1720ईसवी तक शासन किया वही है 
*रोहिला राजपूत*
एडिटेड एंड फॉरवर्ड साभार
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