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Tuesday 19 March 2024

ROHILA THE GREAT WARRIOR

*रक्षा बंधन के दिन रोहिलखंड की वीर भूमि गंगा सी पवित्र राजपूतों के रक्त से रंजित और आक्रांताओं के काल की धरती रामपुर के किले में दिया था कठेहर रोहिलखंड नरेश,महाराजा रणवीर सिंह रोहिला ने अदम्य साहस और अद्भुत शौर्य का परिचय!,दिल्ली सुलतान नासीरुद्दीन बहराम उर्फ चंगेज की चालीस हजार की सेना को दी थी शिकस्त!*
*तथा घुटने टेकने पर मजबूर किया था दिल्ली सल्तनत का दुर्दांत खूंखवार सेनापति नसीरुद्दीन महमूद को*!
*और प्राणदान मांगने पर क्षात्र धर्म रक्षार्थ छोड़ा था।*
*चंगेज ने अवसर पाकर रक्षा बंधन के दिन दरबारी गोकुल चंद पांडे हरिद्वार को लालच देकर किले के द्वार खुलवा लिए*
 *धोखे के शिकार लगभग तीन हजार राजपूत निहत्थे ही लड़े,!आक्रमण कारियो के अस्त्र शस्त्र छीन छीन किया था शौर्य संग्राम दिल्ली सल्तनत की लगभग आधी गुलाम वंशी सेना को काट डाला था रोहिला राजपूतो ने!!अंत में चंगेज के खूंखवार दरिंदो ने अकेले में घेर लिया था रणवीर सिंह रोहिला को, जिन्हे आमने सामने की लड़ाई में दिल्ली सुलतान कभी नही हरा पाए थे किंतु वे उनके साहस से विस्मित हुए बिना नहीं रह सके ।रणवीर रणभूमि के वीर सपूत रक्त की अंतिम बूंद रहने तक संग्राम रत रहे और कतरा कतरा हो कर खेत रहे(सन 1254ईस्वी),उनका बलिदान रोहिलखंड के राजपूताना इतिहास में स्वर्णाक्षर दे गया!,समस्त राजपूत समाज रक्षा बंधन के दिन हुए इस बलिदान को एक शोर्य दिवस के रूप में मनाता आया है,यूट्यूब पर और अन्य सोसल मीडिया पर स्वतंत्र रोहिलखंड संस्थापक नरेश महाराजा रणवीर सिंह रोहिला की वीर गाथा दी हुई है,सभी क्षत्रिय जन अपने बच्चो को दिखाए ताकि सल्तनत काल में १२५४ ईसवी के इस इतिहास के धुंधले पृष्ठ भी उकेरे जा सके*
*, रक्षा बंधन को उनका बलिदान दिवस मनाया जाता है,समस्त क्षत्रिय समाज इस शौर्य दिवस पर उन्हे कोटि कोटि नमन करते हुए उनके। बताए मार्ग पर स्वाधीनता और स्वाभिमान से स्वधर्म रक्षार्थ जीने की शपथ लेता है,यह सच्चाई हमसे स्कूली शिक्षा में छुपाई गई किंतु इतिहास के दर्पण में सब सुरक्षित रहता है जिसे उजागर कर भावी पीढ़ी को बताना ही हरेक क्षत्रिय का नैतिक दायित्व है अतः आप सभी क्षत्रियों से निवेदन है कि भावी पीढ़ी को सच्चाई बताए और स्वाभिमान से जीना दिखाए*
*सूर्य वंशी निकुंभ क्षत्रिय महाराजा रणवीर सिंह रोहिला का जन्म हिंदूवा सूर्य महाराज पृथ्वी राज चौहान के पतन के बाद दिल्ली सल्तनत के बढ़ते कदमों के बीच ऐसे समय में सन१२०४ईस्वी में कठेहर रोहिलखंड की राजधानी रामपुर के किले में राजा त्रिलोक सिंह के यहां हुआ था, जब सभी राजपूत शक्तियां क्षीण और तितर बितर हो चुकी थी,इस्लामिक आक्रांता मध्य भारत की ओर दमन करते हुए आगे बढ़ते रहते थे।।,रणवीर सिंह रोहिला का विवाह विजय पुर सीकरी की राजकुमारी तारा देवी से हुआ तथा पच्चीस वर्ष की आयु में रामपुर की गद्दी पर विराजमान होकर इस्लामीकरण पर रोक लगाई ।। तीस सालों तक दिल्ली सुलतानो को धूल चटाई किंतु रक्षा बंधन के दिन शिव मंदिर गए राजपूतों को रक्षा सूत्र बंधवाते हुए नसीरुद्दीन बहराम ने गोकुल चंद पांडे के द्वारा किले के द्वार खोलने पर घेर लिया और फिर होगया अद्भुत शौर्य संग्राम*
*विस्तार भय से संक्षिप्त गाथा वर्णित है जिसे चाटुकार मुगल कालीन और ब्रिटिश इतिहास कारो ने छिपाया*

*जय जय राजपूताना रोहिलखंड*
*जय क्षत्रिय सम्राट महाराजा रणवीर सिंह रोहिला सनातन रक्षक*



नोट __यहां प्रदर्शित चित्र नेट द्वारा सोसल मीडिया से लिए गए केवल प्रतीकात्मक रूप है इनका लेखक से कोई संबंध नहीं है।।


4 comments:

  1. अच्छी जानकारी धन्यवाद

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  2. रोहिला वीर खड़क सिंह *
    तुगलक काल में कठेहर 'रोहिल खण्ड' के रोहिले क्षत्रियो ने अनेक विद्रोह किये थे, तथा उनका सल्तनत की और से दमन भी किया गया था ! तुगलक काल में रोहिला नरेश खडग सिंह का नाम विद्रोहियों की क्ष्रेणी में विशेष उल्लेखनीय माना जाता है, मुस्लिम सल्तनत के विरुद्ध विद्रोह करने के कारण, कुछ इतिहासकारो ने राय खडग सिंह को केवल 'खड़कू' के नाम से सम्बोधित किया है !

    इस अवसर पर रोहिल खण्ड के प्रमुख सरदार राजपूतो ने बदायू के गवर्नर सैयद मोहम्मद और उनके भाई अलाउदीन को, एक दावत में निमंत्रित करके इन दोनों भाइयो को यमलोक पंहुचा दिया ! यह घटना एक प्रकार से, दिल्ली साम्राज्य के लिए एक विषम समस्या के साथ ही, निरंतर विद्रोह करते रहने की चेतावनी थी !

    रोहिला नरेश राय खडग सिंह, रोहिल खण्ड के निवासी सभी राजपूत वर्गों का माननीय नेता तथा विद्रोही शक्तियों का प्रमुख सेना नायक था ! दिल्ली सल्तनत से पूरी टक्कट लेने के लिए राय खडग सिंह ने इस प्रदेश की विद्रोही शक्तियों में, पारम्परिक एकता को सुदृढ़ रूप में स्थापित करने के लिए कठोर प्रयास किया था !

    वस्तुतः दिल्ली के सुल्तानों के विरुद्ध पूरी टक्कर लेना,

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    1. जय जय राजपूताना रोहिलखंड

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