बुंदेलखंड जहां पहले बनाफर राजपूतों की रियासत थी ओर फिर चंदेल राजपूतों ने शासन किया उसी से लगता हुआ उत्तर पूर्व का राज्य राजपुताना रोहिलखंड हैं ,जिसने महान सम्राट चक्रवर्ती हिंदुआसुर्य्य प्रथ्वीराज चौहान के बाद शेष राजपूतों को कन्नौज पतन के बाद राजपूत एकता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए तत्कालीन दिल्ली सलतनत को धूल चटाई ओर लगभग चार सौ साल संघर्ष करते हुए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया उन्ही महान वीर क्षत्रियों की संतान सूर्य वंशी ,रघुवंश निकुंभ काठी खाप के महाराजा रणवीर सिंह कठेहर रोहिलखंड नरेश की 817वी जयंती अक्टूबर 25, 2020 को बडी धूमधाम से समस्त राजपूत समाज ने पूरे उत्तर भारत में मनायी गयी। इसी प्रकार सभी क्षत्रिय वीर महाराजाओं की जयंती मनाई जाए। अट्ठारहवीं सदी तक इस्लामिक दबाव के चलते कुछ राजपूत कठेहर रोहिलखंड से भारत के अन्य भागों में गए और रोहिला राजपूत कहलाए। कठेहर रोहिलखंड को औरंगजेब के कमजोर पड़ते ही तुरंत स्वतंत्र घोषित कर रोहिलखंड की पश्चिमी सीमा पर गंगा पार करके सहारनपुर में महान शासक राजा इन्द्र सेन ने 1702 ईसवी तदानुसार 1761 विक्रमी में एक किले का निर्माण कराया जो आज प्राचीन रोहिला किला के नाम से प्रसिद्ध हे भारत के पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में लेकर राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया हुआ है, उसी प्राचीन रोहिला किला को ब्रिटिश राज में गदर के बाद एक कारागार के रूप में प्रयोग किया ओर आज़ादी के सेनानियों की जेल बना डाली आज भी उसमे जिला कारागार स्थित है ,उसी प्राचीन रोहिला किला के सामने स्थित चौक का नाम सूर्य वंशी क्षत्रिय कठेहर नरेश के नाम पर महाराजा रणवीर सिंह रोहिला चौक कराया गया हे , बड़ौत नगर में एक मार्ग का नाम राजा रणवीर सिंह रोहिला मार्ग हे। इसी प्रकार नगर नगर गांव गांव में चौराहों ,मार्गो और भवनों के नामकरण उन क्षत्रिय राजाओं के नाम पर कराए जाने चाहिए जिन्हे भुलाने में कोई कमी नही छोड़ी गई है।
*अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने समस्त क्षत्रियों की एकता के लिए जो बीड़ा उठाया था उसी महान विश्व विजेता क्षत्रिय संगठन के एकता हेतु किए गए महान कार्यों के कारण आज रोहिलखंड के क्षत्रिय भी आपके सम्मुख आपने भाइयों से मिल सके ओर भारत भूमि के अनेक महान क्षत्रिय वंशजों के दर्शन कर सके। हम अखिल भारतीय रोहिला क्षत्रिय विकास परिषद रजिस्टर्ड की ओर से माननीय सभा पति जी कुंवर अजय सिंह जी व महेश मोहनराव पाटिल बेनाडीकर का आभार प्रकट करते हे जो अपने बिछुड़े क्षत्रियों को मिलाने ओर एकता करने के लिए कटी ब्द्ध है आज के परिवेश में जहा पर क्षत्रियों के विरूद्ध स्वतंत्रता के बाद से ही कुचक्र चल रहे हे,राष्ट्रीय क्षत्रिय जन संसद का गठन अति आवश्यक था समय की पुकार हे कि क्षत्रिय अधिकार न्याय मोर्चा समस्त क्षत्रियों के लिए आवश्यक अधिकार की मांग करे ओर पूरा कराए, अपनी जमीन राज्य आदि सब कुछ लोक तंत्र को सौंपने के बाद भी क्षत्रिय आज अपने बलिदानों की परिणिती को क्यों तरस रहा है यही जानने हेतु आज आप हम सब देश के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्र हुए हे कि भारत में हो रही क्षत्रियों की उपेक्षा के चलते किस तरह क्षत्रिय एकता बनाए जाएं ।
एकता न बन पाने के मुख्य कारण हे क्षत्रिय इतिहास जो भारत का गौरव शाली इतिहास है उसे वामपंथियों ओर चाटुकारों द्वारा लिखा जाना जिससे क्षत्रिय संस्कृत ओर विरासत भ्रमित हो भावी पीढ़ी को मार्ग दर्शन न किया जाना, जिससे मानसिक क्षमता ओर इतिहास के प्रति जागरूकता कम हुई।*
*मेरा राजपूत भाइयों से अनुरोध है कि सरकार पर हरेक क्षेत्र में दबाव बनाया जाए कि भारत के महान बलिदानी राजाओं सभ्यताओं की जानकारी पाठ्यक्रम में लाई जाए जिसे आज के सेलेब्स ने पूर्णतया नकार रखा हे,राजपुताना संस्कृती विरासत ओर सभ्यता को यदि भावी पीढ़ी को बताने की बात आए तो इतनी गहरी जड़ें हे इतिहास के पन्ने कम पड़ जाए। उत्तर प्रदेश की ही बात है बेंसवाडा में बेंस राजपूतों न शासन किया मैनपुरी में चौहान ने,दिल्ली में तोमर राजपूतों ने, वृंदावन व मथुरा में सोम वंश ने बुंदेलखंड में चंदेल ओर बनाफर ओर बुंदेला ने, रोहिलखंड में रोहिला कठेरिया राजपूतों ने , विजयपुर सीकरी में सूर्य वंशी सिकरवार राजपूत शासन था अकबर ने ध्वस्त कर फतेहपुर सीकरी किया रोहिलखंड के राजपुताना पर अफगानों को काबिज कर रूहेलखंड लिखा यह सब कोई उल्लेख नहीं है क्या यह इतिहास कारो की महान भूल है या सरकार ही नहीं चाहती कि भावी पीढ़ी क्षत्रिय बलिदान से अवगत हो कहने को बहुत है अंत में यही कहना है कि यदि आज इन ज्वलंत मुद्दों पर क्षत्रिय जन संसद विचार नहीं करती तो यह क्षत्रिय समाज उस वाटिका के समान विकर्षण को प्राप्त हो जाएगा जिसमे पोधे तो विभिन्न प्रकार के है किन्तु सुवासित पुष्प बसंत से रूठ जाए।*
*जय भवानी*
*जय MAHARANA*
*जय चौहान*
*जयMAHARAJA RANVEER SINGH ROHILA*
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