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Monday 18 March 2024

PANIPAT @ROHILA VEER GANGA SINGH MAHECHA RATHOD ROHILA RAJPUT AND THE BATTLE OF PANIPAT

*इतिहास के पन्नो में दर्ज है वीर गंगा सिंह महेचा राठौड़ और अन्य रोहिला राजपूतों का पराक्रम*
*पानीपत के तीसरे युद्ध में हुआ था वीर गंगा सिंह महेचा राठौड़ रोहिला राजपूत और उसकी सेना का बलिदान*

*14 जनवरी सन 1761 ईसवी दिन बुधवार मकर सक्रांति को दिया हिंदुत्व के लिए सर्वोच्च बलिदान**🤺🤺🤺🤺🎠🎠🎠🏇🏼
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*पानीपत के मैदान में समय 2बजे** *अपराह्न,जनवरी की हाड़ कंपाने वाली सर्दी,कोहरा और बिजली की गड़गड़ाहट से बारिश के भयावह मौसम में*
*1400 रोहिले राजपूत वीर गंगा सिंह उर्फ गंगा सहाय महेचा राठौड़ रोहिला राजपूत के नेतृत्व में कूद पड़े हिन्दू धर्म रक्षार्थ युद्ध भूमि पर रुहेला सरदार नजीब खान(नजीबुद्दोला) बंगस व आक्रांता अहमद शाह दुर्रानी अब्दाली के विरुद्ध लड़ रहे मराठो की ओर से* 😇😇🎠🎠🤺🤺🏇🏼🏇🏼🏇🏼 *छिड़ गया घमासान युद्ध! कट कट गिर रहे अब्दाली के सैनिक ।कट कट गिर रहे थे गद्दार रुहेले नजीब खान के रूहेले बंगस बारेच पठान*।
*परन्तु हुआ क्या, गार्दी की टॉप सामने आ गयी* *और मुसलमानों के चिथड़े उड़ने लगे 1400 रोहिले राजपूतो की एक टुकड़ी मुख्य सेना से बिछुड़ गयी और अफगानों ने उन्हें घेर लिया वीर राठौड़ गंगा सिंह रोहिला ऊर्फ गंगा सहाय महेचा व उनके साथी हजारो अफगानों का संहार करते हुए सांय पांच बजे वीर गति को प्राप्त हुए* ।
*मराठो की हार हुई अपनी ही तोप के सामने अपनी ही सेना आ गई थी ! उधर सदाशिव राव भाऊ के भतीजे विश्वास राव घायल होकर गिरे तो भाऊ हाथी से उतर के घोड़े पर आ गए युद्ध करने हेतु तो हाथी पर भाऊ को न देख कर सेना भागने लगी और तितर बितर हो गई ।क्या दुखद हार हुई !!जीती हुई* *पानीपत की तीसरी लड़ाई को मराठे जीत कर भी एक घण्टे में हार गए* ।
उत्तर भारत की रक्षार्थ आये मराठो का साथ अन्य राजपूतो जाटो गुज्जरों ने नही दिया क्योंकि मराठे उनसे कर वसूलते थे,और अकेले पड़े हिंदुत्व के लिए लड़े मराठो का साथ सदा शिव राव भाऊ के सेनापति के रूप में सेना में भर्ती हो वीर रोहिला गंगा सिंह महेचावत ने अपना जीवन का सर्वोच्च बलिदान देकर भी दिया ।
वीर गंगा सिंह रोहिला की रानी रामप्यारी देवी mudahad राजपूत रियासत कलायत के कपिल मुनि आश्रम में सती हुई और वही वीर रोहिला गंगा सिंह की समाधि स्थापित की गई।
इसी वंश के
*भवानी सिंह महेचा राठौड़ रोहिला राजपूत तांत्या टोपे की सेना में सेनापति थे जब झांसी की रानी को ह्यूरोज ने घायल किया तो जनरल भवानी सिंह महेचराना ने अपने 16 सेनिको के साथ रक्षा कवच तैयार कर अंग्रेजो से उनकी रक्षा करते रहे और लक्ष्मी बाई को सुरक्षित एक जंगल में कुटिया तक पहुंचाया था किंतु अंग्रेजो के हाथ नही पड़ने दिया*,
 *सन 1858 ईसवी।*

*आज भी महेचा राठौड़ रोहिला राजपूत कलायत ,अंबाला और यमुना पार कर पूरब की ओर उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के दस गांव में आबाद है,इसी वंश के ठाकुर हरिसिंह रोहिला एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे ,जिनकी घोड़ी छोटी ट्रेन से भी तेज दौड़ती थी। उनके वंशज आज भी गांव घाठेड़ा,सहारनपुर और करनाल में रहते है।।
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