तुगलक काल में कठेहर 'रोहिल खण्ड' के रोहिले क्षत्रियो ने अनेक विद्रोह किये थे, तथा उनका सल्तनत की और से दमन भी किया गया था ! तुगलक काल में रोहिला नरेश खडग सिंह का नाम विद्रोहियों की क्ष्रेणी में विशेष उल्लेखनीय माना जाता है,इनकी राजधानी गढ़ आंवला में था। मुस्लिम सल्तनत के विरुद्ध विद्रोह करने के कारण, कुछ इतिहासकारो ने राय खडग सिंह को केवल 'खड़कू' के नाम से सम्बोधित किया है !
इस अवसर पर रोहिल खण्ड के प्रमुख सरदार राजपूतो ने बदायू के गवर्नर सैयद मोहम्मद और उनके भाई अलाउदीन को, एक दावत में निमंत्रित करके इन दोनों भाइयो को यमलोक पंहुचा दिया ! यह घटना एक प्रकार से, दिल्ली साम्राज्य के लिए एक विषम समस्या के साथ ही, निरंतर विद्रोह करते रहने की चेतावनी थी !
रोहिला नरेश राय खडग सिंह, रोहिल खण्ड के निवासी सभी राजपूत वर्गों का माननीय नेता तथा विद्रोही शक्तियों का प्रमुख सेना नायक था ! दिल्ली सल्तनत से पूरी टक्कट लेने के लिए राय खडग सिंह ने इस प्रदेश की विद्रोही शक्तियों में, पारम्परिक एकता को सुदृढ़ रूप में स्थापित करने के लिए कठोर प्रयास किया था !
वस्तुतः दिल्ली के सुल्तानों के विरुद्ध पूरी टक्कर लेना और उनकी गुलामी सहन न करना ही राजपूतों की बहादुरी थी जिसे आगे इनके पुत्र हरिसिंह रोहिला ने जारी रखा और खिज्र खां को धूल चटाई।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद sir अपने रोहिला समाज को जागरूक करने और इतिहास मे दर्ज हुए बलिदानों को याद कराने के लिए
ReplyDeleteआभार आपका ऐतिहासिक जानकारी जो छिपाई गई सामने लाने का प्रयास है
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